जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस मामले पर सुनवाई कर रही थी। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रवासी मजदूरों और कोरोनावायरस के मामले पर लगातार दायर की जा रही याचिकाओं पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि अपने घरों में आराम से बैठकर एक्टिविस्ट याचिकाएं दाखिल करते जा रहे हैं, इन पर रोक लगाई जानी चाहिए। मेहता ने कहा कि हम मजदूरों की जरूरतों का पूरा ख्याल रख रहे हैं। सरकार पहले से ही स्कूल और कई इमारतों को शेल्टर होम में बदल चुकी है।
पिछली बार कोर्ट ने कहा- कोरोना से ज्यादा जानें तो दहशत ले लेगी
सुप्रीम कोर्ट ने 28 मार्च को कहा था कि केंद्र यह निश्चित करे कि मजदूरों का पलायन ना हो। जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने कहा था कि कोरोना से ज्यादा लोगों की जान तो ये दहशत ले लेगी। कोर्ट ने कहा था कि अगर मजदूरों को समझाने के लिए भजन-कीर्तन भी करना पड़ता है तो वो भी करना चाहिए। अदालत ने केंद्र को निर्देश दिए थे कि 24 घंटे के भीतर कोरोनावायरस पर विशेषज्ञों की समिति का गठन किया जाए और लोगों को संक्रमण के बारे में जानकारी देने के लिए पोर्टल भी बनाया जाए।